~संस्कार~
पुरानी पीढ़ी ने हमें कंधो पर बैठाया
सच्चे बुरे का सभी फर्क समझाया|
पर हम तो भागती दुनिया के पीछे ही भागे
कब अपने बच्चों को कंधो पर बैठा बढे आगे
उन में संस्कार नहीं है अब चिखते-चिल्लातें
क्या हम अपनी पीढ़ी से मिले संस्कार सच्ची में उन्हें दे पायें|
फिर भी गनीमत है वह अभी हमारी कद्र करते है
शायद कन्धा नहीं हमारी ऊँगली पकड़ चलने का मान करते है|
पर आज की पीढ़ी तो कुछ इस तरह मार्डन हो गयी है
कन्धा -उंगली दोनों छोड़ टोकरी में रख शिशु चल रही है|
क्या वह संस्कार पा रहे है
अपनी माँ-बाप के छुवन के अहसास को भी
नहीं सही से महसूस कर पा रहे है|
आगे चल यह शिकायत ना करना कभी अगली पीढ़ी से
कि तुम संस्कार विहीन और मार्डन हुए जा रहे हो
जब वह तुम्हे ट्राली में बैठा कही घुमाएँ
गनीमत समझना की रास्तें पर
तुन्हें वह लावारिस नहीं छोड़ आये |….सविता मिश्रा