गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : तुमने भी तो यार हमारी नींद उड़ाई है.

तुमने भी तो यार हमारी नींद उड़ाई है.
हम भी तुमको तडपायें तो कौन बुराई है.

जितना डूबोगे उतना ही ऊँचे जाओगे,
जिसमें जितनी गहराई उतनी ऊँचाई है.

मत पूछो किस दर पर मिलती है दिल की दौलत,
इश्क़ की दुनिया में भी अब कितनी महँगाई है.

दीवानापन कितना मेरे दिल की आहों में,
और तरसते लब पर चाहों की सच्चाई है.

सच्चे रिश्तो में न दिखावा कोई होता है,
मन के मिलने पर बजती सच्ची शहनाई है.

जो जैसा है उसको दुनिया वैसी दीखेगी,
हम अच्छे हैं तो समझो हरसू अच्छाई है.

*अर्चना पांडा

कैलिफ़ोर्निया अमेरिका