ग़ज़ल
तेरा नाम रोशन करना चाहता हूँ l
जिंदगी मे एक काम करना चाहता हूँ I
अंधकार बेचकर,रोशनी तो मिलें ज़रा l
ये नाकाम कोशिश करना चाहता हूँ l
खामोश क्यों बैठी विधवा सी होकर l
चुप रहने का राज़ जानना चाहता हूँ l
तुम मायूस भले उसकी बेरुखी पर l
मैं आँचल मे प्यार भर देना चाहता हूँ l
— मुकेश नास्तिक