कविता

कुण्डलिया छंद

सादर शुभ दिवस, एक कुण्डलिया आप सभी को सादर निवेदित है

“कुण्डलिया”

सरदी आखिर आ गई, लिए बरफ की छाँव
कांपे चीन अमेरिका, ध्रूज रहा है पाँव
ध्रूज रहा है पांव, ठंढ लोगों से कहती
भर दूंगी गोदाम, बरफ झरनों में बहती
कह गौतम कविराय, न है कुदरत बेदरदी
नाहक बैर लगाय, पहाड़ा पढ़े न सरदी ।।

महातम मिश्र (गौतम)

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ