सामाजिक

ऋषिभक्त व आर्यसमाज के अनुयायी श्री दौलत सिंह राणा और देहरादून में श्री चेसायार का रैफेल होम

ओ३म्

हमारे एक मित्र श्री दौलत सिंह राणा देहरादून के रैफेल होम की कुष्ठ रोगियों की कालोनी शिवसदन में अपने परिवार के साथ विगत लगभग 50 वर्षों से रहते हैं। यह रैफल होम ग्रुप कैप्टेन जियोफरी लियोनार्ड चेसायार (जन्म 7 सितम्बर, 1917 तथा मृत्यु 31 जुलाई, 1992) द्वारा 5 अप्रैल, सन् 1958 को स्थापित है। द्वितीय विश्व युद्ध के दिनों में श्री चेसायर रायल एयर फोर्स के पायलट थे और बाद में लोक उपकार के कार्यों में इन्होंने अपना जीवन व्यतीत कियाshri chessair। पायलट के रुप में अपनी सेवाओं के लिए आपको ब्रिटिश सरकार के सर्वोच्च वीरता पुरुस्कार विक्टोरिया क्रास से सम्मानित किया गया था। श्री चेसायर अपने समय के रायल एयर फोर्स के सबसे कम उम्र के ग्रुप कैप्टेन थे। आपने जापान के नागासाकी आणविक हमले में ब्रिटिश पर्यवेक्षक के रूप में कार्य किया था। नागासाकी में एटम बम गिराये जाने के बाद भीषण बर्बादी से संतप्त होकर आपने रायल एयर फोर्स की नौकरी से त्याग पत्र दे दिया था। इसके बाद आपने कुष्ठ व मानसिक विकलांगता आदि रोगों से पीडि़त मनुष्यों के लिए निःशुल्क संस्था की स्थापना की जिसका नाम था Leonard Cheshire Disability. अपने इसी लोकोपकारी कार्य से भावी जीवन में आप संसार में विख्यात हुए।

श्री दौलत सिंह राणा से भेंट में कुछ विषयों पर चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि रैफेल होम की स्थापना के लिए पहले देहरादून में रेसकोर्स स्थान का चयन किया गया था परन्तु उस समय के देहरादून नगर पालिका के चेयरमैन मास्टर रामस्वरुप जी ने यहां स्थान देने से मना कर दिया था और किसी अन्य स्थान पर खोलने का परामर्श दिया था।DSRANA यह स्थान आजकल शहर के बीचों बीच है। मास्टर रामस्वरुप जी आर्यसमाज के निष्ठावान प्रमुख सेवाभावी व्यक्ति थे। हमारा सौभाग्य है कि बचपन के दिनों में अपने इन्हें देखा था और विधायक के लिए सन् 1965 में निर्वाचन में इनका प्रचार कार्य भी किया था। इसके बाद देहरादून के वन विभाग ने आपको देहरादून के मोहनी रोड़ पर इस रैफेल होम की स्थापना के लिए स्थान उपलब्ध कराया। यह आश्रम लगभग 22 से 30 एकड़ के क्षेत्रफल में 5 अप्रैल, 1958 से यहां अवस्थित है।

देहरादून में रेसकोर्स के अन्तर्गत चन्दरनगर में ही कुष्ठ रोग के नियन्त्रण व चिकित्सा के लिए एक मैकलारिन अस्पताल सन् 1892 से चल रहा था। 18 जून सन् 1938 में जन्में श्री दौलतसिंह राणा अपनी किशोरावस्था में जब इस अस्पताल में कुष्ठ रोग की चिकित्सा के लिए आये, उस समय यहां 80 व्यक्ति उपचार करा रहे थे। यहां रोगियों के लिए निःशुल्क चिकित्सा सहित निवास व भोजन की भी व्यवस्था थी। यहां राणा जी ने चार वर्ष रहकर इलाज कराया और स्वास्थ्य लाभ किया। यहां से आप गढ़वाल में अपने जन्म स्थान पर गये और 6 महीने बाद पुनः देहरादून लौटे और रैफेल होम में प्रवेश किया। 1 मार्च सन् 1965 से आप रैफल होम में रह रहें हैं। इस प्रकार इस संस्था व आश्रम में आप 50 वर्षों से हैं। वर्तमान समय में इस रैफेल होम के अन्तर्गत 100 से अधिक मानसिक रोगियों के लिए एक आवासीय चिकित्सालय कार्यरत है। कुष्ठ रोग से पीडि़त रहे और बाद में स्वस्थ हुए लगभग 100 व इससे कुछ अधिक लोग अपने परिवारों के साथ यहां शिव सदन’ कालोनी में निवास करते हैं जिनके भोजन व निवासार्थ साधन यहां उपलब्ध कराये जाते हैं। इसी संस्था के अन्तर्गत टी.बी. रोगियों की चिकित्सा का भी प्रबन्ध हैं जो बहुत लम्बे समय से इस रोग के निर्धनतम रोगियों के लिए आशा का केन्द्र है। इस प्रकार भारत में कुल 20 रैफेल होम कार्यरत हैं। पूरे विश्व में रैफेल होम संस्थाओं की संख्या 480 है जिसमें चीन, नैपाल आदि अनेक देश सम्मिलित हैं। देहरादून के रैफेल होम में यहां चिकित्साधीन व निवास करने वाले लोगों के बच्चों के लिए कक्षा 5 तक की एक पाठशाला भी थी जो अब बन्द कर दी गई है। संस्था की ओर से यहां निवास करने वाले रोगियों व उनके परिवारों के बच्चों की शिक्षा का प्रबन्ध है जिन्हें यहां के मिशन स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। इसके साथ ही व्यवसायिक कार्यों हेतु बच्चों को नर्सिंग व कम्पाउडर के कोर्स व प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था यह संस्था करती है। सम्प्रति रैफेल होम के अन्तर्गत विश्वस्तर पर कार्यरत सभी संस्थाओं का संचालन आस्ट्रेलिया में स्थापित एक प्रबन्ध समिति करती है।

श्री राणा जी इस संस्था से उपकृत हैं। उन्होंने अपने लोगों से बहुत अधिक दुराव व मुसीबतें झेली है। इस पर भी उन्हें किसी से कोई सिकवा व शिकायत नहीं है। वह यह भी बताते हैं कि यदि यह संस्था नहीं होती तो उनका जीवन का निर्वाह न हो पाता। इस संस्था से वह उपकृत हैं, इसके चिरऋणी व कृतज्ञ हैं। श्री राणा जी की इस संस्था के परिसर में जो निवास वा कुटिया है वह स्वच्छता में अनुपमेय कह सकते हैं। इनके निवास पर पूर्व राष्ट्रपति श्री नीलम संजीव रेडडी जी का आगमन हो चुका है। पूर्व राष्ट्रपति श्री फखरुद्दीन अहमद की पत्नी बेगम आबिदा अहमद भी इनके निवास में चुकी हैं। राणा जी को कवितायें लिखने का भी शौक है। यद्यपि वह अपने हाथ की उंगलियों से पैन व लेखनी कठिनता से पकड़ पाते हैं तथापि उन्होंने बहुत सी कवितायें लिख रखी हैं। अपने कार्यकाल में जब राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम जी रैफेल होम आये थे तो आपने उनके सम्मान में एक स्वरचित कविता का पाठ किया था। इससे प्रभावित होकर राष्ट्रपति जी ने उठकर राणा जी की पीठ थपथपाते हुए कहा कि कि Well done Rana ji. महर्षि दयानन्द और आर्यसमाज के राणाजी अनन्य भक्त है। जब आप 60 वर्ष पहले देहरादून इलाज कराने आये थे तो पढ़ने की रूचि के कारण एक रोगी श्री उदयसिंह ने आपको सत्यार्थप्रकाश पढ़ने की प्रेरणा दी थी। सौभाग्य से आपको चिकित्सालय के पुस्तकालय में सत्यार्थप्रकाश मिल गया था। उसके बाद आपने अपने मित्रों से आर्यसमाज का पता पूछा और आर्यसमाज धामावाला आने लगे। यहां भी किसी सदस्य व अधिकारी ने आपको सम्मान व सत्कार न दिया अपितु अति उपेक्षा की तथापि आपकी सत्य के प्रति लगन ने आपको आर्यसमाज से जोड़े रखा। सन् 1997 में एक बार हम अपने कुछ मित्रों सहित राणाजी को हिण्डोन सिटी में आयोजित पं. लेखराम शताब्दी समारोह में ले गये थे जहां मंच से उनका सम्बोधन भी हुआ था। आज भी आपके अन्दर महर्षि दयानन्द के प्रति असीम श्रद्धा व भक्ति विद्यमान है। आप अपना समय आर्यसमाज के साहित्य को पढ़कर व्यतीत करते हैं। कल 26 जनवरी, 2016 को आप हमारे आमंत्रण पर देहरादून के प्रसिद्ध गुरुकुल पौंधा भी अपनी पत्नी श्रीमति उषा जी व अन्य सदस्यों के साथ सपरिवार पहुंचे थे। इन पंक्तियों के लेखक से आपका बहुत स्नेह है।

श्री राणा जी की श्री चेसायर जी पर एक प्रसंषित गीत को भी प्रस्तुत कर रहे हैं जिसके लिए उनके अधिकारीयों ने उनकी बहुत प्रशसा की थी :

शान्ति प्रार्थना सुराइडर ग्रुप कैप्टेन श्री चेसायर साहब की याद में

सुराइडर अरु ग्रुप कैप्टेन को, सौ सौ नमन हमारा।

युगों युगों तक अमर रहेगा, जग में नाम तुम्हारा।।1।।

मात-पिता बन दीन दुखिन के, मिला था प्यार तुम्हारा।

झुक झुक कर नत मस्तक हैं हम, ले लो प्यार हमारा।। 2।।

….. सुराइडर अरु ग्रुप कैप्टेन को।

दीन दुःखी जन बिलख रहे थे, मिला है इन्हें सहारा।

स्थापना रैफेल की करके, मिला हमें घर द्वारा।।3।।

….. सुराइडर अरु ग्रुप कैप्टेन को।

धर्म मजहब का भेद नहीं था, सबको गले लगाया।

दूर खड़े थे डरे डरे जो, उनको पास बिठाया।।4।।

….. सुराइडर अरु ग्रुप कैप्टेन को।

सदा दुवायें करें आपको, दुनिया में होम तुम्हा।

शान्ति मांगते सदा तुम्हारी, सदा तुम्हारे प्यारे।।5।।

….. सुराइडर अरु ग्रुप कैप्टेन को।

अमर रहोगे दुःखी दिलो में, यही अरमान हमारे।

जब तक अम्बर में चन्दा सूरज, आपके रहें दुलारें।।6।।

….. सुराइडर अरु ग्रुप कैप्टेन को।

सदा प्रेम से गाते रहें सब, गीत लिखा ये प्यारा।

कहता दौलत झूमके गावो, चमके भाग्य तुम्हारा।।7।।

…. सुराइडर अरु ग्रुप कैप्टेन को।

श्री चेसायर, उनकी लोकोपकारी संस्था व श्री दौलतसिंह राणा जी के परिचय से सन्निहित इस लेख को यहीं विराम देते हैं।

मनमोहन आर्य, देहरादून।  

2 thoughts on “ऋषिभक्त व आर्यसमाज के अनुयायी श्री दौलत सिंह राणा और देहरादून में श्री चेसायार का रैफेल होम

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    मनमोहन भाई ,रैफेल होम और राणा जी के बारे में जान कर बहुत अच्छा लगा .जब मैं यह आप का लेख पड़ रहा था तो मुझे याद आया कि हमारे टाऊन में भी एक रोड पर चैशाएर होम का बोर्ड लगा हुआ होता था लेकिन मुझे पता नहीं था कि यह लिओनार्ड चैशाएर के नाम से ही था ,सो मैंने इंटरनेट पर देखा तो लिओनार्ड की मिलिटरी जुनिफार्म में फोटो थी ,पड़ कर अच्छा लगा और राणा जी के बारे में भी जान कर अच्छा लगा .

    • मनमोहन कुमार आर्य

      नमस्ते एवं हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री गुरमेल सिंह जी। आपने यह लेख पढ़ा और अपने विचार बताएं इससे भी प्रसन्नता हुई। वस्तुतः लियोनार्ड चेशायर एक पुण्य आत्मा थे। उनको मैं नमन करता हूँ।

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