विनती
तु बेवफा हुई या मुझसे खफा,
मेरी जिंदगी पे राज़ की,लौट के आजा l
अपने प्यार से जो दूर हुई,
सारी रात मुझे नींद न छुई I
तड़पता रहा तेरे दिये बुखार मे,
कभी हँसता कभी रोता रहा तेरे इंतजार मे I
जुबां से तेरी हँसी न भूल जाये
दिल पे लगी मर्हम न मिट जाये
तुझसे मिलने की विनती खुदा से करता रहा I
—- मुकेश नास्तिक