~निष्कपट-निष्कलंक~
लड़की !
निष्कपट-निष्कलंक थी
गन्दी लड़की!
हाँ बदनाम कर दी गयी थी!
इसी नाम से
गाँव के ही काका ताऊओ द्वारा |
गन्दी फोटो उसने नहीं बांटी थी
बल्कि गाँव के ही
कुछ मनचले युवकों द्वारा
उतार ली गयी थी चुपके से
तालाब पर नहाते !
कपड़े बदलते !
वह तो मासूम सी लड़की थी
कुछ सिरफिरे मुहं बोले भाइयों ने
उसका मजाक उड़ाने के लिए
पुरे गाँव में तस्वीरें बाँट दी थी
हर आँख द्वारा वह
खुद को घूरता पाती थी
जब भी घर से बाहर निकलती !
घर में भी माता-पिता-भाई
अक्सर ही आँख तरेरे रहते थे
जैसे उसने ही
किया हो कोई अपराध
घूरती-तरेरती आँखों से
भयभीत हो गयी थी
हर वक्त खुद को
कैद में पा रही थी
अतः आज
आजाद पक्षी की तरह उड़ चली थी
किसी अनजाने शहर की ओर
यह सोचकर कि
शायद वहाँ नहीं मिलेगें
ऐसे कोई कलंकित रिश्तें
पर वह भ्रम में थी !
हर कहीं बैठे होंते हैं
भाई-चाचा-दादा
गिद्ध नजर लगाये
किसी गौरया की तलाश में|..सविता मिश्रा