कविता

“कुण्डलिया”

सादर शुभ दिवस प्रिय मित्रों,
एक कुण्डलिया छंद आप सभी को सादर निवेदित है
इस बार मौनी अमावस्या दिन सोमवार को है जिसका एक अलग ही महात्म्य है अतःइस पावन पर्व को मनन करते हुए यह रचना आप सभी को सादर प्रस्तुत है । प्रयाग संगम में आप भी हमारे साथ माँ गंगा जी में श्रद्धा की डुबकी लगाएं————————

“कुंडलिया”

सोमवती अमावस्या, संगम जह प्रयाग
बहुत दिनों के बाद में, मिला यह सौभाग्य
मिला यह सौभाग्य, डुबकियां मारों भैया
जय बोलो जयशंकर, जय बोलो गंगा मैया
कह गौतम कविराय, सजा लो दिया बत्ती
करो आरती भाय, अमावस्या सोमवती ।।

महातम मिश्र (गौतम)

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ