गीत/नवगीत

कोई कुछ भी कहे उसे कहने दो

तेरी बातें वो, मुलाकाते वो, तेरे वादों की हसीं रातें वो
अपने पलकों की छाँव में रहने दो
कोई कुछ भी कहे उसे कहने दो
कोई कुछ भी कहे उसे कहने दो,

मुझे जीना नहीं, तेरे बिना बस मरना है अब तो तेरे बिना,
मुझे जीना नहीं, तेरे बिना, बस मरना है अब तो तेरे शिवा,
तेरी यादों में खोया रहता हूॅ मैं, तेरे सपनों में सोया रहता हूॅ मैं,
इन यादों को ही अब तो रहने दो, कोई कुछ भी कहे उसे कहने दो
तेरी बातों में ही मुझे रहने दो,
कोई कुछ भी कहे उसे कहने दो,

तू आन मेरी, तू शान मेरी, तू जन्नत जान जहान मेरी,
तू इश्क मेरा, तू सांस मेरी, पर जान मैं हूॅ पहचान तेरी,
कहता तुझसे ये बात दयाल, रहता हर पल बस तेरा ख्याल,
बस तेरे ख्याल में डूब गया, शायद मैं हूॅ महबूब तेरा,
मेरे दिल में प्यार जगाया, चैन मेरा फिर तूने चुराया,
रात गवाई, नींद चुराई, वो दोस्तों की प्यारी यारी छुड़ाई,
वो यार मेरे, वो जान मेरी, शायद थे वो पहचान मेरी,
तेरी खातिर सबको भुलाया, फिर तुने क्यों मुझे रुलाया,
तब सोचा ये मैंने, जब आयी अकल,
कभी जीते जी न देखूं तेरी शकल आहा…..

तूने मुझे क्यों प्यार किया, प्यार से फिर इन्कार किया-2
इस प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई कुछ भी कहे उसे कहने दो-2

दयाल कुशवाह

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