स्व-रचित वर्ण-पिरामिड
*जिंदगी*
1.
है
टेढी
पहेली
जिंदगानी
जो सुलझाये
वही बना ज्ञानी
शेष रहे अज्ञानी
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*मधुर गान*
2.
हे
राम
अमृत
तेरा नाम
मधुर गान
गाँऊ दिन रैन
आये दिल को चैन
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*जीव*
3.
जो
जीव
जीवन
जीता जाता
जिंदादिली से
जरावस्था डरे
जवान सदा रहे
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*शीत लहर*
4.
लो
आई
ठण्डक
बेरहम
शीत लहर
ढाती है कहर
जिनके कच्चे घर
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*कम्प्यूटर*
5.
है
यंत्र
अनूठा
कम्प्युटर
पल में हल
कठिन सवाल
गागर में सागर
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@ शशि शर्मा ‘खुशी’
यों तो सभी वर्ण पिरामिड एक से एक बढकर हैं लेकिन यह बहुत रौचक लगा ,5.
है
यंत्र
अनूठा
कम्प्युटर
पल में हल
कठिन सवाल
गागर में सागर
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हआदरणीया लाजवाब सृजन
प्रिय सखी शशि जी, गीत पिरामिड या गागर में सागर! बढ़िया.