कविता : यह नदियों का मुल्क है
यह नदियों का मुल्क है,
पानी भी भरपूर है ।
बोतल मे बिकता है,
पन्द्रह रूपया शुल्क है।
यह शिक्षकों का मुल्क है,
स्कूल भी खूब है।
बच्चे पढ़ने जाते नहीं ,
पाठशालाएँ नि:शुल्क है।
यह गरीबो का मुल्क है,
जनसंख्या भी भरपूर है।
परिवार नियोजन मानते नही,
नशबन्दी नि:शुल्क है।
यह अजीब मुल्क है,
निर्बलों पर हर शुल्क है।
अगर आप हो बाहुबली,
हर सुविधा नि:शुल्क है।
यह अपना ही मुल्क है,
कर कुछ सकते नहीं ।
कह कुछ सकते नही,
बोलना नि:शुल्क है।
यह शादियों का मुल्क है,
दान दहेज भी खुब है।
शादी करने को पैसा नही,
कोर्ट मैरिज नि:शुल्क है।
यह पर्यटन का मुल्क है,
रेल भी खुब है।
बिना टिकट पकङे गए तो,
रोटी कपड़ा नि:शुल्क है।
यह अजीब मुल्क है,
हर जरुरत पर शुल्क है।
ढूंढ कर देते हैं लोग,
सलाह नि:शुल्क है।
यह आवाम का मुल्क है,
रहबर चुनने का हक है।
वोट देने जाते नहीं ,
मतदान नि:शुल्क है।
— डाॅ हेमन्त कुमार,