कविता

तेरी यादें…

तुमने ही तो
मुझे बुलाया यहॉ
मैं दौडी चली आई
तुम्हारे पद चिन्हो के सहारे
जो इसी रास्ते
कभी तुम गयें थे
वो निशान आज भी
वैसे ही हैं जैसे
तेरी यादें अाज भी ताजी हैं

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४