राजनीति

जे एन यू ,इशरत और देश

वर्तमान परिवेश की दो महत्वपूर्ण घटनाये ऐसी दृष्टिगोचर हुई हैं जो देश की आत्मा पर चोट करतीं हुई प्रतीत हो रही हैं । जे एन यू की घटना और हेडली का इशरत जहाँ के सम्बन्ध में कबूल नामे की घटना से देश आवाक रह गया है । अभी तक कश्मीर में इस तरह की घटनाएं होती रहतीं थी ।

अलगाववादी अक्सर पाकिस्तान जिंदाबाद या आई एस आई एस जिंदाबाद के नारे लगाते रहे हैं परंतु देश की राजधानी में प्रमुख विश्व विद्यालय में इस तरह की देश विरोधी नारे बाजी आतंकवादी के समर्थन में नारे बाजी , भारतीय राष्ट्रीय एकता के लिए काला दिवस से कम नहीं है ।

भारतीय राजनैतिक पटल पर सबसे बड़ा अशुभ संकेत यह है कि जो लोग देश द्रोह के आरोपी हैं उनके लिए तुष्टि करण की राजनीति हेतु भारतीय राजनैतिक पार्टिया उन्हें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षित करने में व्यस्त नजर आती हैं । यह दुःखद है कि अब भारतीय राजनीति की दिशा और दशा दोनों ही भ्रामक स्थिति में पहुच चुकी है ।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को देशद्रोह और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। जेएनयू में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर देश के खिलाफ और आतंकवादियों के समर्थन में नारेबाजी हुई थी।

जेएनयू प्रशासन अनुशासनिक जांच कर रहा है कि अनुमति नहीं देने के बावजूद कार्यक्रम कैसे आयोजित किया गया और इसने कहा कि आगे की जांच से पहले वे जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा करेंगे।

भाजपा सांसद महेश गिरि और एबीवीपी की शिकायत पर वसंत कुंज थाने में कल भादंसं की धारा 124 ए (देशद्रोह) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज किया गया था। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, मामले के सिलसिले में कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया है।

जेएनयू परिसर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था और 2013 में संसद हमले के दोषी अफजल गुरू को फांसी पर लटकाने के खिलाफ नारेबाजी की थी।

जिक्र देश में हुई दूसरी घटना का भी है । इशरत जहाँ के एनकाउंटर की जांच पर भारतीय राजनैतिक पार्टियों ने तरह तरह के सवाल उठाये देश भक्त पुलिस कर्मी सवालो के घेरे में साक्ष्य को ही ढ़ूढ़ते नज़र आए । हद तो तब हो गई जब आतंकवाद में लिप्त रही इशरत जहां को बिहार के कुछ
नेताओँ ने बिहार के बेटी कह कर गर्वान्वित किया और चुनाव में तुष्टिकरण नीति के अंतर्गत लाभ उठाने का प्रयास भी हुआ।

मुंबई हमले में 35 साल की जेल काट रहे डेविड कोलमैन हेडली ने अपनी गवाही में कहा कि 2004 की कथित मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां लश्कर-ए-तैयबा की आत्मघाती हमलावर थी। इस खुलासे के बाद कथित मुठभेड़ को लेकर देश भर में सियासी विवाद फिर उभर आया है।

2004 में अहमदाबाद में हुई कथित मुठभेड़ : 15 जून 2004 : इशरत जहां, प्राणेश पिल्लई, अमजद अली राणा और जीशान जौहर एक मुठभेड़ में अहमदाबाद पुलिस के हाथों मारे गए। गुजरात पुलिस का दावा था कि इशरत और अन्य तीन लोगों को अहमदाबाद के पास अहमदाबाद सिटी पुलिस की टीम ने मार गिराया।

मोदी की हत्या करने आए थे आतंकी : गुजरात पुलिस
पुलिस ने दावा किया कि इशरत समेत चारों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की हत्या के मकसद से आए थे। इनका मकसद 2002 के दंगों का बदला लेना था।

एनआईए ने हेडली से पूछताछ के आधार पर अक्तूबर 2010 को एक रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें हेडली के हवाले से कहा गया कि इशरत जहां लश्कर की आत्मघाती हमलावर थी। लश्कर ने भी मुठभेड़ के बाद लाहौर के अपने मुखपत्र घ्वाजा टाइम्स में इशरत को अपना सदस्य बताया था।

07 सितंबर 2009 : अहमदाबाद मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एसपी तमांग ने रिपोर्ट में मुठभेड़ को फर्जी बताया अगस्त 2010 : गुजरात हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट से गठित एसआईटी से इशरत केस को हाथ में लेने को कहा सितंबर 2010: हाईकोर्ट ने इशरत केस के लिए नई एसआईटी बनाई। करनैल सिंह इसके मुखिया बनाए गए
नवंबर 2010 : एसआईटी गठन को चुनौती देने वाली गुजरात सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज हुई
28 जनवरी 2011 : एसआईटी के एक सदस्य ने दो अन्य सदस्यों पर निष्पक्ष जांच न करने का आरोप लगाया
21 नवंबर 2011 : एसआईटी ने मुठभेड़ को फर्जी ठहराया। मुठभेड़ में शामिल 20 पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस
दिसंबर 2011 : गुजरात हाईकोर्ट ने एसटीएफ को मामला सौंपने से इनकार करते हुए सीबीआई को केस सौंपा 21 फरवरी 2013 : आईपीएस जीएल सिंघल, जेजी परमार,तरुण बनोट गिरफ्तार, 04 जून को डीजी वंजारा गिरफ्तार
03 जुलाई 2013 : सीबीआई ने इशरत जहां मुठभेड़ को फर्जी करार देते हुए मामले में आरोपपत्र दायर किया
07 मई 2014: सीबीआई ने भाजपा नेता अमित शाह को इशरत जहां एनकाउंटर केस में क्लीन चिट दी।

आज डेविड कोलमैन हेडली की गवाही यह सिद्ध करती दिखाई दे रही है कि इशरत जहाँ लश्कर ए तैयबा की खूंखार आत्मघाती आतंकवादी ही थी ।

देश को दांव पर लगाकर की जाने वाली राजनीति देश के स्वस्थ लोक तन्त्र के लिए उचित नहीं है । यही समय है जब देश की सभी राजनैतिक पार्टियो को देश हित के लिए
चिंतन और मन्थन कर एक सशक्त आचार संहिता बनानी चाहिए जिस से राष्ट्र विरोधी तत्वों को कभी संरक्षण प्राप्त न हो सके ।

— नवीन मणि त्रिपाठी

*नवीन मणि त्रिपाठी

नवीन मणि त्रिपाठी जी वन / 28 अर्मापुर इस्टेट कानपुर पिन 208009 दूरभाष 9839626686 8858111788 फेस बुक [email protected]

One thought on “जे एन यू ,इशरत और देश

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा जानकारीपूर्ण लेख !

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