अब सियासत चमकाने के लिए देशद्रोही राजनीति
अब देश में पूरी तरह से डूब चुकी वामपंथी सियासतदां देशद्रोही गतिविधियों में शामिल होकर अपनी राजनीति को फिर से चमकाने की सियासत करने लग गये है। विगत 9 फरवरी को दिल्ली के जेएनयू में जिस प्रकार से कुछ छात्रों ने अफजल गुरू और मकबूल बट्ट को फांसी देने के विरोध में कार्यक्रम का आयोजन किया और उसमें पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाये गये और कश्मीर की आजादी लेकर रहेंगे के नारे लगे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण व दुखद घटनाक्रम घटित हुआ है। इस घटना का समाचार जब मीडिया में छाया और सोशल मीडिया में वायरल हुआ उसके बाद वातावरण में गर्मी आने लग गयी। पूरे कार्यक्रम का वीडियों और समाचार टी वी चैनलों पर छा जाने के बाद केंद्र सरकार ने भी बेहद कड़ा रूख अपना लिया है। जेएनयू परिसर में पाकिस्तान जिंदाबाद और आतंकियों के समर्थन में नारे लगाने वाले छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित अब तक सात लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है।
दिल्ली का जेएनयू देश का एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय माना जाता है लेकिन इस कार्यक्रम के आयोजन के बाद विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को गहरा आघात लगा है। दिल्ली पुलिस ने जब देशद्रोही गतिविधियों के खिलाफ कार्यवाही प्रारंभ कर दी तो उसके समर्थन में जेएनयू के छात्र रहे तथाकथित अलोकप्रिय राजनेता सीताराम येचुरी व डी राजा मैदान में उतर पड़े। इस पूरे प्रकरण में सबसे अधिक शर्मनाक बयान तो राहुल गांधी के आ रहे हैं और वे भी आतंकियों व कश्मीरी आजादी के समर्थन में खड़े दिखलायी पड़ रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राहुल गांधी को अपनी पुरानी विरासत का अच्छा इतिहास भी नहीं पढ़ाया गया है। लेकिन इस पूरे प्रकरण में एक नया टिवट यह आ गया है कि दिल्ली के एक भाजपा सांसद महेश गिरि ने एक नया वीडियो जारी किया है जिसमें डी राजा की बेटी अपराजिता राजा अफजल गुरू के समर्थन में नारे लगा रही है।
सबसे आश्चर्यचकित बात यह है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस गंभीर मुददे पर भी अपनी महामूर्खता पूर्ण बयानबाजी करके अपने आप को केवल और केवल आतंकियों का समर्थक ही साबित कर कर रहे हैं। वैसे भी अब यह बात बिलकुल सही तरह से लागू होनी ही चाहिये कि देशद्रोही हरकतों का समर्थन करने वाले हर नेता व हर दल पर उसी प्रकार से कार्यवाही होनी चाहिये जैसे कि देश के गददारों के साथ की जाती है। जिन लोगों की राजनीति अब सदा के लिए समाप्त हो चुकी है वे किसी भी सीमा तक जाने के लिए तैयार हो रहे हैे। अभी हाल ही कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी ने भी वामपथी राजनीति को नकार दिया है। सही बात है कि अब पूरी दुनिया में वामपंथी राजनीति का अवसान हो चुका है तथा इस बार उसे केरल में भी खराब संगठन के चलते वापसी की कम संभावना दिखलायी पड़ रही है वहीं दूसरी ओर बंगाल में उसका नेता विपक्ष का दावा भी खटाई में पढ़ता दिख रहा है। जेएनयू परिसर में वामपंथी छात्रों की हरकतों का असर देशव्यापी राजनीति में भी पड़ सकता है। अब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद वामपंथी संगठनो के खिलाफ एक महाहथियार के रूप में प्रयोग अवश्य करेगी और करना भी चाहिये।
जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद सीताराम येचुरी और डी राजा ने देश में इमरजेंसी जैसे हालातों के आरोप लगाये और कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों को पुलिस के माध्यम से डराया जा रहा है। यह नेता एक प्रकार से पाकिस्तान जिंदाबाद नारे का समर्थन कर रहे थे। वामपंथी सदा से ही देश के गददार रहे हैं। जब चीन ने भारत पर हमला बोला था तब भी इन लोगों ने भारत सरकार की नीतियों का खुला विरोध किया था और जब देशहित में पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह की सरकार अमेरिका से परमाणु ऊर्जा संबंधी समझौता करने जा रही थी तब इन लोगों ने सरकार से समर्थन वापस लेकर देश की राजनीति को अस्थिर करने का महाषड़यंत्र रच दिया था। देश में स्वंतत्रता की अभिव्यक्ति का बहुत अधिक मजाक बनाया जा रहा है। अब समय आ गया है कि स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति की सीमा तय की जाये। यह भारत की धरती है कि यहां पर इस प्रकार के लोग व उनकी राजनीति को सहन किया जा रहा है। जिस समय पूरा विश्व आतंकवाद के खिलाफ महाजंग लड़ रहा है उस समय भारत में देशद्रोही लोग कभी जेएनयू परिसर में तो कभी दिल्ली के प्रेस कल्ब आफ इंडिया में आतंकवाद और आतंकवादियों के समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं जलसों का आयोजन कर रहे हैं। तमिल फिल्म अभिनेता कमल हासन ने विगत दिनों एक बयान दिया था कि मुसलमानों को बर्दाश्त नहीं स्वीकार करो उनका इस विषय में क्या कहना है ?
इस घटना में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि जिन लोगों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाये उनमें हिंदू नामराशि भी थे। जिस प्रकार से आतंकियों के समर्थन में नारे लगाये गये वह भारतीय संविधान और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का भी खुला विरोध है। आज देश के लिये एक बेहद गौरव की बात है कि एक देशभक्त व राष्ट्रवादी विचारधारा का व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री पद पर विराजमान है। इस समय ऐसी नीच हरकते करने वाले लोगों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। यह बात प्रारम्भिक कार्यवाही से ही पता चल गयी है। इस पूरे प्रकरण में सरकार व प्रशासन को किसी भी तरह से दबाव में नहीं आना चाहिये। साथ ही अब जेएनयू परिसर में चल रही देशविरोधी गतिविधियों की जांच भी न्यायिक व खुफिया एजेंसियों से होनी चाहिये और भाजपा को अपने छात्रविंगों के माध्यम से बंगाल व केरल में इस घटना के फुटेज पूरे बंगाल व केरल के छात्रों व आम जनता के बीच दिखाकर यह साबित करना चाहिये वास्तव में वामपंथी नेता पूरी तरह से आतंकवादियों के पैरोकार हंै तथा इन्हीं नेताओं के कारण ही देशविरोधी ताकतें जन्म ले रही हैं।
इस पूरे प्रकरण में आम आदमी पार्टी के दूसरे नेता कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल के विपरीत बात कहकर स्वागतयोग्य काम किया है। ज्ञान के केंद्र में इस प्रकार की गतिविधि का होना वास्तव में बेहद चिंताजनक व खतरनाक है।
— मृत्युंजय दीक्षित
बहुत अच्छा लेख !