लघुकथा : अपनी दृष्टि
जगत के प्रथम पत्रकार नारद धरती का भ्रमण कर नारायण के पास पहुंचे।
”नारद, क्या खबर लाए हो ?” लक्ष्मीपति ने उत्सुकता दिखाई।
नारद ने कई अखबारों का पुलिंदा नारायण की ओर बढ़ाते हुए कहा, ”भगवन, धरती खासकर भारत-भूमि का बुरा हाल है। आप खुद पढ़ लीजिए। सारे हालात आपके सामने हैं। ”
”नारद, आज तुमने मुझे निराश कर दिया। अब मैं तुमसे कभी भी कोई समाचार नहीं पूछूंगा।”
”अपराध क्षमा हो, पालनहार। लेकिन नाराजगी का कारण’?”
”नारद, मैं तो सोचता था कि तुम जगह -जगह जाकर सच्ची खबर लाते हो, लेकिन अब पता चला कि तुम्हें भी धरती के अखबारनबीसों की हवा लग गई है, जो खबर की तह तक गए बिना ही कुछ भी छाप देते हैं।”
”स्वामी ने ठीक कहा, नारद। तुम अपनी दृष्टि से सृष्टि देखो।” नारायण की सेवा में लगी माता लक्ष्मी बोल पड़ीं।
— नीता सैनी , दिल्ली
अच्छी लघुकथा ! आज की मीडिया पर करारा व्यंग्य है !