लघुकथा

लघुकथा : अपनी दृष्टि

जगत के प्रथम पत्रकार नारद धरती का भ्रमण कर नारायण के पास पहुंचे।
”नारद, क्या खबर लाए हो ?” लक्ष्मीपति ने उत्सुकता दिखाई।
नारद ने कई अखबारों का पुलिंदा नारायण की ओर बढ़ाते हुए कहा, ”भगवन, धरती खासकर भारत-भूमि का बुरा हाल है। आप खुद पढ़ लीजिए। सारे हालात आपके सामने हैं। ”
”नारद, आज तुमने मुझे निराश कर दिया। अब मैं तुमसे कभी भी कोई समाचार नहीं पूछूंगा।”
”अपराध क्षमा हो, पालनहार। लेकिन नाराजगी का कारण’?”
”नारद, मैं तो सोचता था कि तुम जगह -जगह जाकर सच्ची खबर लाते हो, लेकिन अब पता चला कि तुम्हें भी धरती के अखबारनबीसों की हवा लग गई है, जो खबर की तह तक गए बिना ही कुछ भी छाप देते हैं।”
”स्वामी ने ठीक कहा, नारद। तुम अपनी दृष्टि से सृष्टि देखो।” नारायण की सेवा में लगी माता लक्ष्मी बोल पड़ीं।

नीता सैनी , दिल्ली

नीता सैनी

जन्म -- 22 oct 1970 शिक्षा -- स्नातक लेखन -- कविता , लघुकथा प्रकाशन -- पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित संपर्क -- घर का पता 117 , मस्जिद मोठ , नई दिल्ली - 110049 पत्र व्यवहार के लिए ऑफिस का पता -- नीता सैनी - न्यू जगदम्बा टेंट हाउस L - 505 / 4 -- शनि बाजार संगम विहार , नई दिल्ली - 80

One thought on “लघुकथा : अपनी दृष्टि

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी लघुकथा ! आज की मीडिया पर करारा व्यंग्य है !

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