गीत : ऐसा छंद लिखें हम
खोलें दिल के दरवाजे कर आँखें बंद लिखें हम.
समा न पाये जो शब्दों में ऐसा छंद लिखें हम.
नभ जैसी हो सोच हमारी
बन समीर उड़ जायें.
गंगा-जमुना जिधर मन करे
उसी ओर मुड़ जायें
भाव-नदी पर बाँध न बाँधें हो स्वछंद लिखें हम.
समा न पाये जो शब्दों में ऐसा छंद लिखें हम.
कल की चिन्ता बहुत सताती
पल-पल है उलझाती.
मगर आज की खुशी हमारी
हर उलझन सुलझाती.
कल की चिन्ता भूल आज का हर आनन्द लिखें हम.
समा न पाये जो शब्दों में ऐसा छंद लिखें हम.
राधा से कान्हा का रिश्ता
सारी दुनिया जाने.
मीरा ने समझाये हमको
सही प्यार के माने.
जिस रिश्ते को दिल माने बस वो सम्बन्ध लिखें हम.
समा न पाये जो शब्दों में ऐसा छंद लिखें हम.
हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार भावसंयोजन .आपको बधाई
उत्तम गीत !
राधा से कान्हा का रिश्ता
सारी दुनिया जाने.
मीरा ने समझाये हमको
सही प्यार के माने. बहुत खूब .