गर वो मेरी जिंदगी में न आये होते
गर वो मेरी जिंदगी में
न आये होते
तो हम भी न
किसी गम के सताये होते
शाम सहर
उनकी ही यादों में
न गिन गिन कर
आंसू बहाये होते
गर मेरे कोमल मन को
वो एक कतरा भी न भाये होते
माना कि वो शान थे मेरी
धड़कते दिल में जान थे मेरी
पर धमनियों में लहू बन कर
न वो बहाये होते
गर वो मेरी जिंदगी में
न इस कदर आये होते
फूल था खिला हुआ
मुक्त चमन का फ़िज़ाओं में
न धुल थी न कोई परत
बहता था हवाओं में
टूट गया बिखर गया
वो झोंका वक़्त की आंधी का
हाय क्या कर गया
आज भी खिलता यूँ ही हवाओं में
गर न बेवफाई के
कांटे यूँ चुभाये होते
वो खुद हसे
और हमे रुलाये होते
गर मेरी जिंदगी में
न वो कभी आये होते
न वो कभी आये होते
वाह वाह !
वाह वाह !
धन्यवाद विजय जी।
प्रिय महेश भाई जी, बहुत बढ़िया.
आभार आपका।
आज भी खिलता यूँ ही हवाओं में
गर न बेवफाई के
कांटे यूँ चुभाये होते
वो खुद हसे
और हमे रुलाये होते
गर मेरी जिंदगी में
न वो कभी आये होते बहुत खूब .
आभार मान्यवर
क्या बात है
आभार मान्यवर