हिंसक होते आरक्षण आंदोलन- राजनैतिक साजिशों के कारण ?
हरियाणा में आश्चर्यजनक ढंग से जाट आरक्षण आंदोलन हिंसक हो गया। 30 हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति का नुकसान, कम से कम दो दर्जन मौतों और कई लोगों के घायल होने के बाद तथा सेना द्वारा मोर्चा संभालने और केंद्र व राज्य सरकार की ओर से जाटों को ओबीसी कोटे से छेड़छाड़ किये बिना आरक्षण दिये लजाने के ऐलान के बाद जाओं का आंदोलन नरम पड़ा है। हालांकि अभी भी हरियाणा में गैर जाट संपत्ति की तबरही के मंजी दिखलायी पड़ रहे हैं जिसके कारण वहां पर वातावरण में आंतरिक तनाव पसरा हुआ है। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जिस प्रकार की अमानवीयता का नग्न प्रदर्शन हिंसक भीड़ द्वारा किया गया वह बेहद निंदनीय दुर्भाग्यपूर्ण व मानवीय सभ्यता के अंतिम सूचकांक में आ रही भारी गिरावट को भी दर्शा रहा है। जाट आरक्षण आंदोलन के दोरान हुई हिंसा से एक ऐसा शून्य और गैर जाट बनाम जाट के बीच एक ऐसी गहरी खायी को पैदाकर गया है जिसकी भरपायी कर पाना अब किसी भी दल के लिये इतना आसान नहीं रह गया है। प्रारम्भ में तो असलियत समझ में नहीं आयी लेकिन जैसे जैसे मामला गंभीर से गंभीर होता गया और हरियाणा में गृहयुद्ध और अराजकाता के हालात पैदा होते गये उससे आंदोलन के पीछे राजनैतिक साजिश की गहरी बू भी नजर आने लग गयी।
विगत दस वर्षों से हरियाणा में जाट नेता मुख्यमंत्री हुआ करता था। इस बार के चुनावों में गैर जाट का नेता मुख्यमंत्री बना और वह भी पूर्णरूप से ईमानदार व्यक्त्वि के धनी मनोहर लाल खटटर। अपनी ईमानदार छवि के बल पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर हरियाणा राज्य को विकास की दौड़ में बराबर आगे बढ़ाने का काम कर रहे थे। लेकिन उनका काम उनके पूर्व प्रतिद्वंदी कांग्रेसी नेता भूपेंदर सिंह हुडडा और इंडियन नेशनल लोकदल के लोगों को पसंद नहीं आ रहे थे। हरियाणा की भाजपा सरकार पूर्ववर्ती सरकारों के भ्रष्टाचार के कारनामों की पोल खेल रही थी। आज राज्य में भाजपा सरकार होने के कारण ही ओम प्रकाश चैटाला आदि जेल की सलाखों के पीछे हैं तथा उस परिवार का राजनैतिक कैरियर समाप्ति की ओर है।
इसी प्रकार राज्य सरकार गांधी परिवार के दामाद राबर्ट वाड्ऱा की जमीनों की जांच करवा रही हैं तथा उसमें कुछ गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं। बहुत शीघ्र ही राबर्ट वाड्ऱा पर आरोपपत्र दायर हो सकते हैं। कांग्रेस मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुडडा पर भी भ्रष्टाचार व जमीन घोटालों पर जांच जारी है जिसके कारण यह लोग काफी परेशानी का अनुभव कर रहे थे। साथ ही कांग्रेस सरकार के कई मंत्री भी विभिन्न मुकदमों में फंस रहे हैं। एक बात और अभी तक हरियाणा में जाट मुख्यमंत्री के कारण जाट लोग सरकार व प्रशासन में अपनी दादागिरि चलवाते थे जिसके कारण उनके गलत कामों को भी नजरआंदाज किया जाता था अब हरियाणा में वैसी परिस्थितियां नहीं हैं। यही कारण है कि एक स्टिंग आपरेशन के दौरान खुलासा हुआ है जिसमंें पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार वीरेंद्र सिंह साजिश करते हुए बेनकाब किये गये हैं। यह स्टिंग आपरेशन मीडिया में आने के बाद हरियाणा का राजनैतिक वातवारण गर्मा गया हे और कांग्रेस के पास भी सफाई देने के अलावा कोई रास्ता बचता नहीं दिखलायी पड़ रहा है।
हरियाणा में जाट आंदोलन की आग पूरी तरह से कांगे्रस व इनेलो की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर के नेतृत्व वाली भाजपा की बहुमत की सरकार को अस्थिर और फेल करने के लगायी गयी है। यह तो गनीमत रही कि केंद्र सरकार ने हरियाणा सरकार की पूरी तरह से सहायता करी आर सेना ने भी पूरी धैर्यता व साहस के साथ परिस्थिति को संभाला नहीे तो हालात और भी अधिक बेकाबू हो सकते थे तथा मरने वालों का आंकड़ा भी बढ़ सकता था। सेना की सख्ती और नेताओं के आश्वासन के बाद हालात नियंत्रण में आ रहे हैं। लेकिन जो खबरें छनन कर आ रही हैं वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण दुखद व निंदनीय है। पूरा का पूरा हरियाण लहूलुहान हो गया। जाट के गुंडो ने अपनी ही नहीं अपितु गैर जाटों की संपत्ति को चुन चुनकर आग के हवाले किया है। गैर जाट युवतियों के साथ छेड़छाड़ और मारपीट तक की गयीं। सरकारी व प्राइवेट अस्पतालो, स्कूलों, कल- कारखानों सहित सार्वजनिक हित की सभी संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया गया।
सबसे दुखद बात यह है कि हरियाणा में युद्ध से भी बुरे हालात तब पैदा हो गये जब सरकारी अस्पताल को भी आग के हवाले कर दियागया। आमतौर पर जब दो देशों के बीच युद्ध की नौबत पैदा होती है तब भी अस्पतालों पर बमबारी नहीं की जाती है लेकिन यहां पर तो अस्पतालों को भी नहीं छोड़ा गया। खबर तो यह भी है कि हरियाणा में हिंसा के दौरान फंस गयी कुछ युवतियों को खेंतो में खींचकर ले जाया गया और वहां पर उनके साथ सामूहिक दुराचार की वारदातों को अंजाम दिया गया है। यह हैवानियत की पराकाष्ठा है। इस पूरे मामले को पंजा हरियाणा हाईकोर्ट ने बेहद गंभीर मानते हुए अपनी ओर से संज्ञान में लेकर केस दर्ज किया है और जांच के आदेश भी जारी किये हैं।आज जाटों ने लगता है कि अपनी पराजय की भड़ास इस प्रकार का हिंसक आंदोलन करके निकाली है।
इस आंदोलन का भविष्य क्या होगा तथा हिंसा फैलाने वाले लोगों पर सर्वाेच्च न्यायालय व न्यायालय सहित संसद और विधानसभा क्या कार्यवही तय करेगी यह तो यही लोग बतायेंगे लेकिन यह आंदोलन आरक्षण की राजनीति करने वाले लोगों के लिये खतरनाक संकेत भी दे रहा है। आज गुजरात के पटेल आरक्षण की मांग कर रहे हैं, उत्तर प्रदेश में प्रमोशन में रिर्जेवशन का मुददा सिर उठा रहा है। इसके अतिरिक्त कुछ 17 जातियां भी अपना आरक्षण का हक मांग रही हैं। विभिन्न राज्यों में सभी जातियों की अपनी- अपनी मांगे हैं अगर यह सभी लोग अपना डंडा और नारा लेकर निकल पड़ें और देश को बंघक बनाकर सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने लग जाये ंतो इसका परिणाम बेहद भयावह होगा चारों तरफ अराजकता का वातवारण पैदा हो जायेगा। वहीं दूसरी ओर इस प्रकार की परिस्थितियां तो राजनैतिक रोटी सेकने वाले जातिवादी नेताओं व दलों को पसंद आती ही हैं साथ ही साथ देश के दुश्मनों को भी बल मिलता है। इस प्रकार की घटनाओं व आंदोलनों से देश की विकास की गति को भी आघात लगता है। हम आरक्षण के विरोधी नही हैं लेकिन आज वास्तविक हकीकत यह है कि जब देशभर में सरकारी नौकरियां पैदा ही नहीं हो रही हैं तो फिर सभी वर्गो के लोग सरकारी नौकरी के पीछे ललचायी नजरों से पीछे ही क्यों पढ़ें रहते हैं।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हार्दिक पटेल आंदोलन के दौरान हुयी हिंसक घटनाओं पर जवाबदेही को लेकर जो टिप्पणी करी है वह विचारणीय व स्वागतयोग्य हैं। अब समय आ गया है जो लोग हिंसक आंदोलनों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लें उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवही की जाये। जाट आंदोलन से हरियाणा की छवि को गहरा आघात लगा है। वहां से उद्योगों के पलायन का खतरा पैदा हो गया है व पर्यटकों के आगमन का भरोसा टूट सकता है। निवेशक राज्य से टिक सकते हैं। यह हिंसा उस समय हुयी जब राज्य ने बेटी बचाओ के तहत बेटियों को बचाने के काम में अग्रणी सफलता हासिल की है। यह आंदोलन एक महाविपत्ति थी लेकिन अब आगे का विकास और सामाजिक समरसता को बहाल करना एक महाचुनौती होगा।
— मृत्युंजय दीक्षित