गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

निगाहों से क्या क्या किये जा रहे हो
क़यामत हैं आंखें ग़ज़ब ढा रहे हो

अगर मान जाओ तो पूरे मैं कर दूँ
ये रेशम से सपने बुने जा रहे हो

मोहब्बत का जादू गज़ब ढा रहा है
दिवाने से तुम तो नज़र आ रहे हो

ज़रा रुख से अपने तो परदा हटाओ
के खुद ही पुकारा छुपे जा रहे हो

हमारी दुआ में फ़कत नाम तेरा
रकीबों से जाने क्यों घबरा रहे हो

ये सूरज हमारा ये चंदा तुम्हारा
जहाँ को सुनो तुम क्यों भरमा रहे हो

रेनू मिश्रा 

रेनू मिश्रा

एम.ए., बी.एड. शिक्षिका (डी.ए.वी.स्कूल, रांची) मोबाइल: 7549001308