कुंडलिया छंद
बजता डंका झूठ का, सत्य खड़ा है मौन ।
मिथ्या का सम्मान पर, सत्य पूजता कौन ।
सत्य पूजता कौन , अँधेरा है अब छाया |
सच के बल पर कौन,भला आगे बढ़ पाया |
झूठे सर पर ताज, यहाँ पर हरदम सजता
सच्चाई है मूक, झूठ का डंका बजता |
— रमा प्रवीर वर्मा
अच्छी कुंडली !
बहुत बहुत आभार आदरणीय सिंघल जी
अति सुंदर.
हार्दिक आभार आदरणीया