लघुकथा

लघुकथा- वही सपना

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बरसों बाद मिले तो याद आया कि जवानी में जातपात की वजह से विवाह नहीं कर सके थे, “ अब जब दोनों के जीवन साथी नहीं रहे और हम स्वतंत्र है तो एकसूत्र में बंध सकते है.” अपने प्रेमी की बात सुन कर प्रेमिका खुश हो गई.
दोनों का मनमयूर नाच उठा. जिस के परछाई मन के दीवार पर साफ दिखाई दे रही थी.
इसी आशा के साथ दोनों विपरीत दिशा में बने अपने घर की ओर चल दिए.” अब हमे बच्चों से इजाजत ले लेनी चाहिए.”
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१०/०३/२०१६

*ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

नाम- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जन्म- 26 जनवरी’ 1965 पेशा- सहायक शिक्षक शौक- अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा- मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथ-साथ लघुकथाएं. शिक्षा-बीए ( तीन बार), एमए (हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र, इतिहास) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा. समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिशत अंक के साथ अपने बैच में प्रथम. रचना प्रकाशन- सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, चैथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विशेष लेखन- चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाशन- लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार- साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकु, हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). मराठी में अनुदित और प्रकाशित पुस्तकें-१- कुंए को बुखार २-आसमानी आफत ३-कांव-कांव का भूत ४- कौन सा रंग अच्छा है ? संपर्क- पोस्ट आॅफिॅस के पास, रतनगढ़, जिला-नीमच (मप्र) संपर्कसूत्र- 09424079675 ई-मेल [email protected]

2 thoughts on “लघुकथा- वही सपना

  • विजय कुमार सिंघल

    हा हा हा हा ! बढ़िया लघु कथा ! पहले माता पिता की इजाजत नहीं मिली होगी, अब शायद बच्चों की नहीं मिलेगी !

    • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

      आदरणीय विजय कुमार जी शुक्रिया आप का , आप को लघुकथा पसंद आई.

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