कविता

कविता : पैमाना

बड़ी
मुश्किल से सभाला है
खुद को
पैमाने तक लाकर!
तू जो आ जाए
तो
कसम की लाज रह जाए!
मय की जगह
ज़िगर में
तू उतर जाए!
घड़ी भर की जगह
उम्र भर का
नशा हो जाए!

कंचन आरजू

कंचन आरजू

कंचन आरजू़ एम.ए. (बी.एड) दिल्ली दूरदर्शन एंकर एवम् आकाशवाणी कम्पेयर इलाहाबाद