कविता : पैमाना
बड़ी
मुश्किल से सभाला है
खुद को
पैमाने तक लाकर!
तू जो आ जाए
तो
कसम की लाज रह जाए!
मय की जगह
ज़िगर में
तू उतर जाए!
घड़ी भर की जगह
उम्र भर का
नशा हो जाए!
— कंचन आरजू
बड़ी
मुश्किल से सभाला है
खुद को
पैमाने तक लाकर!
तू जो आ जाए
तो
कसम की लाज रह जाए!
मय की जगह
ज़िगर में
तू उतर जाए!
घड़ी भर की जगह
उम्र भर का
नशा हो जाए!
— कंचन आरजू