कविता : मुस्कराहट
बेटा जो
उम्मीदो पर खरा
उतर जाए
तो
झुर्रिया अपने आप
कम हो जाए
और
चेहरे पर बेसाख्ता हँसी
आ जाए
फिर तो
सामने हो न हो
वो
उसकी बाते सोच सोच कर
माँ
अकेले में ही
खुश हो
लेती
हैं!
— कंचन आरज़ू
बेटा जो
उम्मीदो पर खरा
उतर जाए
तो
झुर्रिया अपने आप
कम हो जाए
और
चेहरे पर बेसाख्ता हँसी
आ जाए
फिर तो
सामने हो न हो
वो
उसकी बाते सोच सोच कर
माँ
अकेले में ही
खुश हो
लेती
हैं!
— कंचन आरज़ू
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प्रिय सखी कंचन जी, अति सुंदर.