कविता

कविता : मुस्कराहट

बेटा जो
उम्मीदो पर खरा
उतर जाए
तो
झुर्रिया अपने आप
कम हो जाए
और
चेहरे पर बेसाख्ता हँसी
आ जाए
फिर तो
सामने हो न हो
वो
उसकी बाते सोच सोच कर
माँ
अकेले में ही
खुश हो
लेती
हैं!

कंचन आरज़ू

कंचन आरजू

कंचन आरजू़ एम.ए. (बी.एड) दिल्ली दूरदर्शन एंकर एवम् आकाशवाणी कम्पेयर इलाहाबाद

One thought on “कविता : मुस्कराहट

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी कंचन जी, अति सुंदर.

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