बचपन की यादों के दोहे
1
गीली डंडा,खेलती, टोली चलती साथ।
राजा बाजा खेलते,पकड़B सखा का हाथ ।।
2
आज कहीं पर मिल गया, बचपन का यह राग।
घी, गुड़,में घुलता हुआ, अपनों का अनुराग।।
3
आज जरा से रख दिये, हमने पीछे पाँव।
धूल सना बचपन मिला,प्यार सना सा गांव।।
4
हमने हर पल को जिया, बचपन में भरपूर।
आज सिसकता सा मिला, बचपन ग़म में चूर।।
5
कितनी परतें छील दी, तुमने मेरी आज।
बचपन आया याद तो, हो गई मन में खाज।।
22आशा पाण्डेय ओझा