गीतिका
देखलो आज क्या हो गया
वक्त भी बेवफ़ा हो गया १
मर गई आज इंसानियत
आदमी ही खुदा हो गया २
चढ़ गया चाँद पूनम का भी
आज फिर रतजगा हो गया ३
ख्वाब भी अब मचलने लगे
जाने क्या माजरा हो गया ४
ख्वाहिशें फिर जवां हो गई
प्यार का जब नशा हो गया ५
खो गया प्यार में इस कदर
मन मेरा बावरा हो गया ६
जिसकी खातिर जिए आज तक
आज वो ही खफा हो गया ७
जिसकी कोई दवा ही नहीं
जख्म इतना बड़ा हो गया ८
प्यार जब से हुआ है रमा
दर्द का सिलसिला हो गया ९
———————————- रमा वर्मा
बढ़िया ग़ज़ल !
बढ़िया ग़ज़ल !