कविता

गम का सैलाब…

ये गम का सैलाब जिसने मेरे अंदर
जन्म दिया एक शायरा को
ये बचपन से मेरे साथ है
मेरा हमनवाँ, मेरा ख़ैरख़्वाह बनकर
ताउम्र करता रहा मुझे छलनी
शीशे से भी तेज़ बातों की धार से
हमेशा ज़िंदगी से चुन चुनकर
सिर्फ दर्द हीं भरे हैं इन आँखों में
मेरी रूह से छिन लिया है इसने
एक एक लम्हे की खुशी को
साँसे अब कुछ यूं चलती है
जैसे एहसान कर रही हों मुझपर
मेरे अंदर की शायरा आज
खुद से हीं घबड़ा गई है और
तड़प कर कहती है मुझसे
चलो आज ‘खुदकशी’ कर लेते हैं
तभी ये ज़िंदगी खिलखिलाती है
और कहती है…’रश्मि’ बस टूट गई ???
‘दर्द’ से हीं तो हमें पहचान मिलती है।

— रश्मि अभय

रश्मि अभय

नाम-रश्मि अभय पिता-श्री देवेंद्र कुमार अभय माता-स्वर्गीय सुशीला अभय पति-श्री प्रमोद कुमार पुत्र-आकर्ष दिवयम शिक्षा-स्नातक, एलएलबी, Bachelor of Mass Communication & Journalism पेशा-पत्रकार ब्यूरो चीफ़ 'शार्प रिपोर्टर' (बिहार) पुस्तकें- सूरज के छिपने तक (प्रकाशित) मेरी अनुभूति (प्रकाशित) महाराजगंज के मालवीय उमाशंकर प्रसाद,स्मृति ग्रंथ (प्रकाशित) कुछ एहसास...तेरे मेरे दरम्यान (शीघ्र प्रकाशित) निवास-पटना मोबाइल-09471026423 मेल [email protected]

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