खेलों को बढ़ावा देने हेतु एक बालकृति
ऐ नन्ही तू कित कित खेल , नन्हा तू खेल कबड्डी ….
तभी तो होगी तन्दरुस्ती , मजबूत होगी तेरी हड्डी !!
दौड़ा-दौड़ी भागमभाग, तितलियों के पीछे ,
झूला बना के झूल -झूल, तू अमिया के नीचे !
बन के नन्हा पहलवान
उतर जा अखाड़े में तू पहन के छोटी चड्डी, ऐ नन्ही तू……………….
छप-छप पानी में उतार तू अपनी कागज की नाव,
या एक घरौंदा बना दबा के रेत के नीचे पाँव —-
तकपक -तकपक चला काठ का घोड़ा ,बैल और काठ की गड्डी !! ऐ नन्ही तू……………………….
छुक-छुक ,छुक-छुक की पुकार,
जुड़ -जुड़ के बना ले लम्बी कतार,
तेरी रफ्तार के आगे तो रेलगाड़ी हो जाए फिसड्डी …
ऐ नन्ही तू कितकित खेल , नन्हा तू खेल कबड्डी!!
— आरती वर्मा
बढ़िया बाल गीत !
बढ़िया बाल गीत !