गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

निगाहों में किसी की चंद-पल रुक कर चला आया
परिंदा क़ैद का आदी नहीं था, घर चला आया

सितमगर की ख़िलाफ़त में उछाला था जिसे हमने
हमारे आशियाने तक वही पत्थर चला आया

सभी क़समों, उसूलों, बंदिशों को तोड़कर,आखिर
मैं अरसे बाद आज उसकी गली होकर चला आया

दनादन लीलता ही जा रहा है कैसे हरियाली
कि चलकर शह्र से अब गाँव तक अजगर चला आया

उतरकर गोद से माँ की, जहाँ बचपन गुज़ारा था
वो मेरा गाँव ख़्वाबों में मेरे अक्सर चला आया

बिखर जाने को था जज़्बात की आंधी में,पर ज्यों ही
तुम्हारा नाम आया, बज़्म से उठकर चला आया

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~जय~

जयनित कुमार मेहता

पिता- श्री मनोज कुमार मेहता जन्मतिथि- 06/11/1994 शिक्षा:बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय,मधेपुरा(बिहार) से राजनीति शास्त्र में स्नातक (अध्ययनरत) रूचि: साहित्य में गहन रूचि। कविता,गीत, ग़ज़ल लेखन.. फेसबुक पर निरंतर लेखन व ब्लॉगिंग में सक्रिय! प्रकाशित कृतिया: एक साझा काव्य संग्रह 'काव्य-सुगंध' शीघ्र (जनवरी 2016 तक) प्रकाश्य!! पता: ग्राम-लालमोहन नगर,पोस्ट-पहसरा, थाना-रानीगंज, अररिया, बिहार-854312 संपर्क:- मो- 09199869986 ईमेल- [email protected] फेसबुक- facebook.com/jaynitkumar