गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

बारिश जैसा जुनून तेरी मोहब्बत में चाहिये
मौसम की तरह बदलकर हमें यूं न सताईये

मिजाजे इश्क बहक रहा तेरे दीदार की खातिर
इक बार ही सही हमें अक्स दिखा जाइये

रह जायेंगे हम तन्हा तेरी रुख्सती के बाद
इस कदर हमारी चाहत  को न आजमाईये

माना कि बहकना इश्क में आसां नहीं होता
पर हमारी इस आरजू को तो समझ जाईये

है दिल की ख्वाहिश झूम के बरसे आज मेघा
मोहब्बत की आंधी मेँ आप भी बरस जाईये

एकता सारदा

*एकता सारदा

नाम - एकता सारदा पता - सूरत (गुजरात) सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने [email protected]