बाल कविता

गौरैया

ची ची करती गौरैया
कभी घर के मूँडेरो
तो कभी पेडो की डालियॉ
चूँ चूँ कर दाना चूँगती
फूदक-फूदक कर उडाने भरती
छोटे-छोटे तिनके को चून
अपना प्यारा नीड बनाती
सूर्य अस्त होते ही चुपके से
अपने घोंसलें मे सो जाती
जैसे सुबह की आहट पाती
ची-ची ची-ची करने लगती
अपनी मधुर आवाज से
बच्चो को जगाने लगती
उठ जाओ तुम बच्चे प्यारे
तुम हो देश के राज दूलारे|
       निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४