गीत
टूट नहीं पाए अपनी लय।
बोलो भारत माता की जय॥
इसकी मिट्टी में खेलें हम।
दूर किए इसने सारे ग़म।
गोदी है मंजुल मंगलमय।
बोलो भारत माता की जय॥1॥
रोम-रोम तो कर्जदार है।
यही जीत है यही हार है।
बड़े हुए पीकर इसका पय।
बोलो भारत माता की जय॥2॥
सच्चे मन से गुणगान करें।
सोते-जगते नित ध्यान धरें।
करें आपसी नफरत का क्षय।
बोलो भारत माता की जय॥3॥
— पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’