कविता “दोहा मुक्तक” *महातम मिश्र 12/04/2016 शीर्षक मुक्तक, प्रदत शीर्षक / शक्ति /बल/ताकत आदि ताकत बल भी खूब है, जब तक रहे शरीर जर जमीन और जोरू, संचित रहे जमीर बुढ़ापा बिन ताकत का, गई जवानी आय बिना शक्ती के साधू, कोई कहाँ अमीर॥ महातम मिश्रा, गौतम गोरखपुरी