कविता

कविता : मेरी रूह

मेरी रूह से लिपटी तेरी रूह
अक्सर सिसक उठती है
तनहाई की रातों में…
सुलग उठते हैं एहसास मेरे
तुम्हें छूने की तमन्ना में
हाथ बढ़ते हैं…
तेरी लौ को पकड़ने के लिए
मगर सांसें चटक जाती हैं
टूटे रिश्तों की तरह…
बिखर जाते हैं एहसास मेरे
तड़प उठती है रूह मेरी
बस हर बार यही सोचती हूँ मैं
अपनी तन्हाइयों को मिला दूँ
तुम्हारी तन्हाइयों से…
शायद रूह की आग में
ये आग भी शामिल हो जाए।
‘रश्मि अभय’

रश्मि अभय

नाम-रश्मि अभय पिता-श्री देवेंद्र कुमार अभय माता-स्वर्गीय सुशीला अभय पति-श्री प्रमोद कुमार पुत्र-आकर्ष दिवयम शिक्षा-स्नातक, एलएलबी, Bachelor of Mass Communication & Journalism पेशा-पत्रकार ब्यूरो चीफ़ 'शार्प रिपोर्टर' (बिहार) पुस्तकें- सूरज के छिपने तक (प्रकाशित) मेरी अनुभूति (प्रकाशित) महाराजगंज के मालवीय उमाशंकर प्रसाद,स्मृति ग्रंथ (प्रकाशित) कुछ एहसास...तेरे मेरे दरम्यान (शीघ्र प्रकाशित) निवास-पटना मोबाइल-09471026423 मेल [email protected]