कविता : तस्वीर
जिनके जीवन का लक्ष्य
बनावटी,व्यापार,आवरण ,अभिनय ,
एक्टिंग ,प्रदर्शनी हो
वहां सरल,सहृदय ,सच्चा स्नेही आदमी
सुख शांति से नहीं रह सकता !
हंस तो मानसरोवर में ही रहता है ,
किसी गंदे तालाब या सड़े-गले
नाले में नहीं रह सकता!
जहाँ चोबीसो घंटे
स्वार्थ,बल .कपट,धोखा,
द्वेष ,घृणा ,छल, हो ,
वहां सच्चा आदमी नहीं रह सकता !
मत करो अपनी आत्मा से गुनाह,
वरना हीनता से भर जाओगे!
अंतरात्मा से बीमार हो जाओगे,
मानसिक रूप से असतुष्ट हो जाओगे,
और मर गए तो एक
तस्वीर बन कर लटक जाओगे!
किसी को जीवन में प्रेम दिया तो
पुण्य तिथि को पोंछ दिए जाओगे ,
स्मारकों पर अपने नाम की यादे छोड़ जाओगे !
वरना वो तस्वीर भी धुल में सिमट जाएगी
और तुम उधर से भी लुफ्त हो जाओगे !!
— स्वाति (सरू) जैसलमेरिया