आदत….
सांस लेना भी
एक कैसी आदत है…
अजीब है रवायतें
ज़िंदगी की…
ना कोई आहट
ना हलचल है बदन में
कोई अक्स भी नहीं
निगाहों में…
पाओं है कि बेमकसद
चलते जाते हैं…
एक सफ़र है जो कहीं
खत्म नहीं होता…
बस बहते रहता है…
ना जाने कब से…
बरसों से….सदियों से….
बस जिये जाते हैं…
क्यूंकि जीना है…
उफ़्फ़…ये आदतें भी
अजीब होती हैं…!!!