कविता

ऐ अजनबी….

ऐ अजनबी….
जब कभी ज़िंदगी में
दर्द से बेज़ार होकर
तेरी निगाहें छलक उठे
और तब तेरे पास कोई ना हो
सिर्फ तेरी तनहाई के…
तो अपनी उस तनहाई को
अपना साथी बना लेना…
बता देना अपने दिल का दर्द
इक बार लिपट जाना उससे
और ज़ार-ज़ार रो लेना…
शायद तब तुम्हें अपने
ज़ख़्मों पर मरहम का एहसास हो
तेरी पलकों में छुपे शबनम
खिलखिला कर हंस उठे….
जानते हो क्यूँ….????
क्यूंकि अपनी तनहाई से
ज्यादा हमदर्द कोई और नहीं होता।

रश्मि अभय

नाम-रश्मि अभय पिता-श्री देवेंद्र कुमार अभय माता-स्वर्गीय सुशीला अभय पति-श्री प्रमोद कुमार पुत्र-आकर्ष दिवयम शिक्षा-स्नातक, एलएलबी, Bachelor of Mass Communication & Journalism पेशा-पत्रकार ब्यूरो चीफ़ 'शार्प रिपोर्टर' (बिहार) पुस्तकें- सूरज के छिपने तक (प्रकाशित) मेरी अनुभूति (प्रकाशित) महाराजगंज के मालवीय उमाशंकर प्रसाद,स्मृति ग्रंथ (प्रकाशित) कुछ एहसास...तेरे मेरे दरम्यान (शीघ्र प्रकाशित) निवास-पटना मोबाइल-09471026423 मेल [email protected]