“दोहा मुक्तक”
शीर्षक- उल्हास, आनन्द, उत्सव
उल्हास अतिरेक लिए, शादी में धक धाँय
आनंद का विनाश है, बंदुक बरात जाय
खुशी को भी मातम में, बदलते क्यों लोग
कैसी शहनाई आज, बजती उत्सव आय॥
महातम मिश्रा, गौतम गोरखपुरी
शीर्षक- उल्हास, आनन्द, उत्सव
उल्हास अतिरेक लिए, शादी में धक धाँय
आनंद का विनाश है, बंदुक बरात जाय
खुशी को भी मातम में, बदलते क्यों लोग
कैसी शहनाई आज, बजती उत्सव आय॥
महातम मिश्रा, गौतम गोरखपुरी