कभी मेरे लिए
बहर- 1222 1222 1222 1222
कभी मेरे लिये दिलवर मेरा ऑगन सजायेगा।
भुलाकर वो खता सारी मुझे अपना बनायेगा।
जिन्हे आती हँसी मुझ पर उन्हें न्यौता है हँसने का।
मुझे मालूम है इक दिन मेरा भी वक्त आयेगा।
नही लाचार मैं इतना जो कल को ना बदल पाऊँ!
मिलेगी बस उसे मंजिल कदम जो भी बढायेगा।
जो दिल का रोग है उसके नतीजे हैं अलग सबसे।
जिसे हँसना सिखाओगे वही तुमको रूलायेगा।
— शिव चाहर “मयंक”