मुक्तक/दोहा

दोहे

आज के दोहे / शिव चाहर मयंक

नीयत जिसकी नेक है, जिसके नेक विचार।
खुशियों से दामन भरे, जीवन हो साकार।-1

स्वर्ग नर्क सब है यहाँ, पाप पुण्य का राज।
सबको बस मिलता वही जैसा जिसका काज।-2

कर्महीन को सुख कहाँ, रहे सफलता दूर।
मंजिल उसके साथ है, जो थक कर हो चूर।-3

चंचल मन को रोकना, है कितना आसान।
दान, दया दिल में बसा,सुमिरो नित भगवान।-4

दुआ दवा से है बडी, इसके रूप अनेक।
हर मुश्किल आसान हो, राह चुनो तुम नेक।-5

संगत से आदत बने, आदत से ब्यवहार।
ये तीनो निश्चित करें, जीत मिले या हार।-6

अपने मन की पीर का, करो न रोज बखान।
नमक लिये अब घूमते, इस जग मे इंसान-7

देश प्रेम का जोश ही, दे पावन परिणाम।
जननी से ऊपर सँदा, रहे धरा का धाम।-8

सच हो गर स्वींकार तो, पलट देख इतिहास।
भारत का ही सौर्य है, जग में सबसे खास।-9

शिव चाहर मयंक

शिव चाहर 'मयंक'

नाम- शिव चाहर "मयंक" पिता- श्री जगवीर सिंह चाहर पता- गाँव + पोष्ट - अकोला जिला - आगरा उ.प्र. पिन नं- 283102 जन्मतिथी - 18/07/1989 Mob.no. 07871007393 सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन , अधिकतर छंदबद्ध रचनाऐ,देश व विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित,देश के अनेको मंचो पर नियमित कार्यक्रम। प्रकाशाधीन पुस्तकें - लेकिन साथ निभाना तुम (खण्ड काव्य) , नारी (खण्ड काव्य), हलधर (खण्ड काव्य) , दोहा संग्रह । सम्मान - आनंद ही आनंद फाउडेंशन द्वारा " राष्ट्रीय भाष्य गौरव सम्मान" वर्ष 2015 E mail id- [email protected]