मुक्तक/दोहा

मुक्तक

जीवन – लीला रहे अधूरी सुख  – दुख के संयोग बिना

प्रीति कहाँ हो पाती पूरी कुछ दिन विरह वियोग बिना

खट्टे – मीठे सभी स्वाद से सजी गृहस्थी की थाली

पार कहाँ लगती है नैया आपस के सहयोग बिना

अंकिता

अंकिता कुलश्रेष्ठ

नाम:अंकिता कुलश्रेष्ठ पिता जी : श्री कामता प्रसाद कुलश्रेष्ठ माता जी: श्रीमती नीरेश कुलश्रेष्ठ शिक्षा : परास्नातक ( जैव प्रौद्योगिकी ) बी टी सी निवास स्थान : आगरा पता: ग्राम व पोस्ट सैयां तहसील खेरागढ़ जिला आगरा उत्तरप्रदेश

4 thoughts on “मुक्तक

  • चुन चुन कर लिखे शब्द बहुत अछे लगे .

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सार्थक लेखन
    बढियाँ संदेश

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सार्थक लेखन
    बढियाँ संदेश

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