मुक्तक
जीवन – लीला रहे अधूरी सुख – दुख के संयोग बिना
प्रीति कहाँ हो पाती पूरी कुछ दिन विरह वियोग बिना
खट्टे – मीठे सभी स्वाद से सजी गृहस्थी की थाली
पार कहाँ लगती है नैया आपस के सहयोग बिना
अंकिता
जीवन – लीला रहे अधूरी सुख – दुख के संयोग बिना
प्रीति कहाँ हो पाती पूरी कुछ दिन विरह वियोग बिना
खट्टे – मीठे सभी स्वाद से सजी गृहस्थी की थाली
पार कहाँ लगती है नैया आपस के सहयोग बिना
अंकिता
Comments are closed.
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी …बेह्तरीन अभिव्यक्ति
चुन चुन कर लिखे शब्द बहुत अछे लगे .
सार्थक लेखन
बढियाँ संदेश
सार्थक लेखन
बढियाँ संदेश