गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : चूड़ियाँ

पास न हो तो भी मिट जाती हैं दूरियां
सौ मील दूरी पर खनकती है जब उनकी चूड़ियाँ।

मेघ की मल्हार हो या हो झरने की झनझार
भाती है दिल को आजकल ये खनकती चूड़ियाँ।

नीली हरी हीरे जड़ी सात रंगो से भरी
है ये गुलशन बहारों का या तुम्हारी चूड़ियाँ।

जो बात दिल की हो कोई कह न पाओ तुम मुझे
कानो को मेरे सब बताती है तुम्हारी चूड़ियाँ।

मीरा की भक्ति कहूँ या फिर ग़ालिब की ग़ज़ल
कुछ ऐसा ही एहसास कराती हैं तुम्हारी चूड़ियाँ ।

पत्ते से टपकती बूँद को पपीहा जो सुन ले कभी
वही हाल हो मेरा अगर खनके तुम्हारी चूड़ियाँ ।

सातों स्वरो आ जाओ तुम इस जंग के मैदान में
होगा तुम्हारा हाल क्या जब खनकेंगी उनकी चूड़ियाँ ।

विजय कुमार गौत्तम

विजय गौत्तम

नाम- विजय कुमार गौत्तम पिता का नाम - मोहन लाल गौत्तम पता - 268 केशव नगर कॉलोनी , बजरिया , सवाई माधोपुर , राजस्थान pin code - 322001 फोन - 9785523446 ईमेल - [email protected] व्यवसाय - मैंने अपनी Engineering की पढाई Arya college , Kukas , jaipur से Civil engineering में पूरी की है एवं पिछले 2 सालों से Jaipur Engineering College , Kukas , jaipur में व्याख्याता के पर कार्यरत हूँ । ग़ज़लें लिखना बहुत अच्छा लगता है ।