पहेलियाँ – २
(1)
गोलू-मोलू, सीधा-सादा
मानों फटने को आमादा
जितना कसके इसको मारो
दूर भागता उतना ज्यादा
(2)
हरे, लाल, नीले, पीले
इसमें चार मकान
सोलह राही आते-जाते
फिर सबकुछ सुनसान
(3)
रूई के बंडल जैसा है
बित्तेभर कानोंवाला
नहीं पकड़ में आता भैया
ये है फुर्ती का प्याला
(4)
हरे खोल में लाल धमाका
संग नगीने कुछ काले
पानी का भंडार यहाँ है
सेहत के ये रखवाले
(5)
जरा फूँक दो, फूल के कुप्पा
सूई से ये डरते हैं
जरा जोर से चपत लगे बस
गुस्से से फट पड़ते हैं
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