कविता “मुक्तक” *महातम मिश्र 06/05/2016 13-12 पर यति…….. कलियों को देख भौंरा, फूला समा रहा है फूलों के संग माली, मनमन अघा रहा है कुदरत का ये करिश्मा, पराग पूष्प पल्लव नैना भिरामा दृश्यम, हेला जगा रहा है॥ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी