कविता

माँ का रिटायरमेंट

आज देखा
गौर से उन्हें
बड़े दिनों बाद
वरना तो हर दिन
सरसरी सा बीत जाता है
चौबिसों घण्टे का साथ
पर गौर से देखने का
इतना वक्त कहाँ मिल पाता है

देखा
बासठ बर्ष का
अनुभव दर्प से
चमकता हुआ चेहरा
आँखों की कोरों पर
वक्त से जूझती
महीन लकीरें
जो गवाह हैं
जाने कितने ही
दर्द भरे लम्हों की
कि जब हँसती हैं वोह
तो मेरी आँखे में
चमक होती है
चाँद-तारों की…

और देखी
उनकी वही मुस्कुराहट
जो हर मुसीबत की घड़ी में
बन कर हमारे लिये
कवच सी
हरदम रहती है तैयार
कोई कितनी भी
ज़ोर से मार करे
झटक तो लगती है
पर दर्द नहीं होता
न ही टीस उठती है….

सोचा
कैसा जादू सा असर है
उनके शब्दों में
तारीफ के दो लब्ज़ उनके
कितना उकसातें हैं मुझे
हद से ज्यादा
कर गुज़रने को
स्पर्श उनका
मरहम हो जाता है
चोट अंदरूनी हो
या के बाहरी
दर्द हवा हो जाता है …

और सोचा
एक स्तंभ गिरने के बाद
लम्बे समय से
एक पैर पर खड़े रहकर
उनमें इतना बल
कहाँ से आया
कि सारी बिषम परिस्थितियों को
एक नया रंग दिया
नये सोपान नये आयाम
देखने की नज़र दी हमें
हमें कुछ भी कर गुज़रने का
हर अवसर दिया…

तब पाया
केवल मेरी ही नींव
मजबूत नहीं धरी
बल्कि सैकड़ों को
भविष्य की अगवानी के लिये
मन से तैयार किया
वर्तमान खूब पढ़ाया है
एक माँ ने पूरी तरह
अपने नैसर्गिक गुण
‘शिक्षिका’ का फर्ज़ निभाया है

कि रीढ़ की हड्डी सारे शरीर का संतुलन बना कर रखती है …. !!

शिप्रा खरे

नाम:- शिप्रा खरे शुक्ला पिता :- स्वर्गीय कपिल देव खरे माता :- श्रीमती लक्ष्मी खरे शिक्षा :- एम.एस.सी,एम.ए, बी.एड, एम.बी.ए लेखन विधाएं:- कहानी /कविता/ गजल/ आलेख/ बाल साहित्य साहित्यिक उपलब्धियाँ :- साहित्यिक समीर दस्तक सहित अन्य पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित, 10 साझा काव्य संग्रह(hindi aur english dono mein ) #छोटा सा भावुक मेरा मन कुछ ना कुछ उकेरा ही करता है पन्नों पर आप मुझे मेरे ब्लाग पर भी पढ़ सकते हैं shipradkhare.blogspot.com ई-मेल - [email protected]

4 thoughts on “माँ का रिटायरमेंट

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    लाजवाब सृजन

    • शिप्रा खरे

      आभार…धन्यवाद राज किशोर जी

  • लीला तिवानी

    अति सुंदर प्रस्तुति.

    • शिप्रा खरे

      हृदय से धन्यवाद ..आभार लीला जी

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