दूर जाना चाहता हूँ
आज महफ़िल से
किसी एकांत में
मैं जरूर जाना चाहता हु
वो चेहरा
जिसने जीते जी कुछ न दिया
जख्मो पे नमक की सिवा
आज उस शख्स से
मैं बहुत दूर जाना चाहता हूँ
कहते थे खुद को मोहब्बत का देवता
गुनाहों से तोबा तक न कर सके वो
मासूम दिल से खेल गए
खिलाना समझ के वो
आज उन्ही के अंदाज़ में
उनका गुरूर धोना चाहता हूँ
न देखूं उस बेवफा को अब कभी
ऐसी कोई दुआ कर दे
उस धोखेबाज की दुनिया से
अब बहुत दूर..बहुत दूर जाना चाहता हूँ
आज महफ़िल से
किसी एकांत में
मैं जरूर जाना चाहता हु