कविता

“कुण्डलिया छंद”

काँटों भरी न जिंदगी, काँटों भरा न ताज

माँ धीरज रख निकालूँ, पैरन तेरे आज

पैरन तेरे आज , कभी नत पीड़ा होगी

लूँ काँटों को साज, दुखों से दूर रहोगी

कह गौतम कविराय, उम्मीदों को न पाटों

भार गोद अकुलाय, डगर नहि बावों काँटों॥

 

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

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