कविता

“दोहा मुक्तक”

शीर्षक — पहाड़ / पर्वत / भूधर

गिरि से उतरती गंगा, कलकल करती धार

भूधर भूमि निहारता, जल ज़मीन का प्यार

हरियाली धरी बसुधा, तरु पल्लवित सुवास

मिल जाती है बेहिचक, सागर पानी खार॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

2 thoughts on ““दोहा मुक्तक”

    • महातम मिश्र

      धन्यवाद मित्रवर रमेश कुमार सिंह जी , हार्दिक आभार

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