धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

काश! यह इतना आसान होता

गीता के छठे अध्याय में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि ऐसा नहीं है कि यह गीता रहस्य मैं तुम्हें पहली बार बता रहा हूँ। सृष्टि के आरंभ में मैंने यह रहस्य सूर्य को बताया था, सूर्य ने इसे मनु को बताया और मनु ने इक्ष्वाकु को। कालान्तर में यह ज्ञान लुप्त हो गया। इसीलिए मैं आज तुम्हें फिर से वह ज्ञान दे रहा हूँ। भगवान के इस कथन पर अर्जुन का चौंकना स्वाभाविक था। उसने प्रश्न किया –
“आप तो मेरे समकालीन हैं। इसी युग में पैदा हुए हैं, फिर यह ज्ञान सूर्य को कैसे दिया?”
भगवान मे मुस्कुराते हुए कहा कहा कि मैं आज भी हूँ और सृष्टि के आरंभ में भी था। तुम भी पहले भी थे और आज भी हो। फर्क इतना ही है कि मुझे सब याद है और तुम सब विस्मृत कर चुके हो।
मनुष्य अपने आप को पहचान ले तो स्मृतियां स्वयं आ जाती हैं। जिस दिन वह अपनी आत्मा में परमात्मा का साक्षात्कार कर लेता है, वह परमात्मा को प्राप्त कर लेता है। लेकिन यह है अत्यन्त कठिन और असंभव-सा। अर्जुन को इसकी अनुभूति कराने के लिए भगवान को स्वयं अपने श्रीमुख से गीता के १८ अध्याय कहने पड़े, तब अर्जुन ने स्वीकार किया कि उसने अपनी स्मृति को पा लिया है। पश्चात उसने स्वयं को भगवान को समर्पित करते हुए कहा कि उसके समस्त संदेह मिट गए हैं और वह अब वैसा ही करेगा जैसा भगवान कहेंगे।
अर्जुन भाग्यशाली था और परम भक्त भी था। सबकुछ समर्पण करने के बाद उसने वह पा लिया जिसके लिए तपस्वी ऋषि-मुनि जन्म-जन्म तक तरसते हैं। हमलोगों के साथ सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि हम एक क्षण परमात्मा पर विश्वास करते हैं, तो दूसरे ही क्षण शंका उठा देते हैं। आधुनिक विज्ञान ने इसमें और योगदान दिया है। जिस दिन हम अपना सुख-दुःख, यश-अपयश, जय-पराजय, हानि-लाभ को परमात्मा पर पूर्ण विश्वास करते हुए उसे सौंप देंगे उसी दिन समस्त कष्टों से मुक्ति पा जायेंगे। काश! यह इतना आसान होता।

बिपिन किशोर सिन्हा

B. Tech. in Mechanical Engg. from IIT, B.H.U., Varanasi. Presently Chief Engineer (Admn) in Purvanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd, Varanasi under U.P. Power Corpn Ltd, Lucknow, a UP Govt Undertaking and author of following books : 1. Kaho Kauntey (A novel based on Mahabharat) 2. Shesh Kathit Ramkatha (A novel based on Ramayana) 3. Smriti (Social novel) 4. Kya khoya kya paya (social novel) 5. Faisala ( collection of stories) 6. Abhivyakti (collection of poems) 7. Amarai (collection of poems) 8. Sandarbh ( collection of poems), Write articles on current affairs in Nav Bharat Times, Pravakta, Inside story, Shashi Features, Panchajany and several Hindi Portals.

One thought on “काश! यह इतना आसान होता

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा लेख !

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