सबके पूज्य आर्य विद्वान प्रा. राजेन्द्र जिज्ञासु जी की बाल हकीकत राय पर प्रेरणादायक काव्यमय पंक्तियां
ओ३म्
सबके पूज्य आर्य विद्वान प्रा. राजेन्द्र जिज्ञासु जी की बाल हकीकत राय पर प्रेरणादायक काव्यमय पंक्तियां
धन्य-धन्य हे बाल हकीकत, धन्य-धन्य बलिदानी।
देगी नवजीवन जन-जन को, तेरी अम र कहानी।।
प्राण लुटाए निर्भय होकर, धर्म प्रेम की ज्वाला फूंकी।
तुझे प्रलोभन देकर हारे, सकल क्रूर मुल्ला अज्ञानी।।
नश्वर तन है जीव अमर यह,
तत्व ज्ञान का तूने जाना।
तेरी गौरव गाथा गा गा,
धन्य हुई कवियों की वाणी।।
गूंज उठे धरती और अम्बर,
जय जयकार तुम्हारा।
तेरे पथ पर शीश चढ़ाने
की, कितनों ने ठानी।।
मृत्यु का आलिंगन कीना, जीवन भेद बताया।
मौत से डरकर अन्यायियों की एक न तूने मानी।।
धन्य तुम्हारे मात पिता और,
सती लक्ष्मी प्यारी।
प्राण वीर तुम प्रण के पक्के,
धन्य देश-अभिमानी।।
प्रस्तुतकर्ता मनमोहन कुमार आर्य
बहुत सुंदर गीत !
नमस्ते एवं हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री विजय जी।
प्रिय मनमोहन भाई जी, अति सुंदर.
नमस्ते एवं हार्दिक धन्यवाद आदरणीय बहिन ही। सादर।
मनमोहन भाई ,राजिंदर जी की कविता बहुत अछि लगी .हकीकत राये के बारे में बचपन से ही पड़ते आ रहे हैं . ऐसे बेरहम मुल्ला जिस ने फ़तवा दिया था , के बारे में किया लिखें ,शब्द ही कम पढ़ जायेंगे .
नमस्ते एवं हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री गुरमेल सिंह जी। एक कविता की पंक्तियां ठीक से याद नहीं आ रही हैं। शायद इस प्रकार हैं : “झंडे दुनिया में उनके गड़े हैं, शीश धर्म पे जिनसे चढ़ें हैं।” ऐसी ही घटना बाल हकीकत राय जी की है। मैंने इस पर अपने गुरुकुल में नाटक भी देखें हैं। सादर।