कविता

क्यों चाहा उसे

क्यों चाहा उसे
जो मोहब्बतों के काबिल न थी
आंधियों का जज़्बा थी वो
प्रेम का सागर न थी
हम समझते रहे वफ़ा का सैलाब
वो मोहब्बतों का साहिल न थी
गर किया होता प्यार
उसने भी मेरी तरह बेइंतहा
तो साथ होती हर कीमत पर
पर वो तो बस दर्द का दरिया थी
जिसने कुछ न दिया दर्द और आहों के सिवा
मैं तो यूँ ही भटकता रहा बेवजाह
अरे… मेरी तो वो मन्ज़िल न थी
मेरी तो वो मन्ज़िल न थी
#महेश

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]

2 thoughts on “क्यों चाहा उसे

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

    • महेश कुमार माटा

      आभार मान्यवर

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